कुछ अलग तो नहीं थी वह सुबहसूरज पूर्व से ही निकला थाकुछ अलग तो नहीं था वह दिनरोज़ की तरह दिल धड़का तो थाफिर क्यों ये दिल उस दिन के बाददोबारा ठीक से धड़क नहीं पायाफिर क्यों दोबारा सूरज ऊगा तो सहीपर मेरी ज़िन्दगी में सिर्फ अन्धकार छाया दहशत सी है उस कमरे से मुझेजहाँ […]
आखिरी रात